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इस बार उनके उच्छ्वायस में मुझे बाधा देना पड़ी। कहा, “बड़े गुसाईं, विद्युत का दीपक ही आप लोगों की ऑंखों ने देखा है, पर जिनके कर्ण-रन्धरों में उसकी कड़कड़ ध्वीनि दिन-रात ...